त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद-म.म.स्वामी ललितानंद गिरी
हरिद्वार, 24 मई। ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज की 12वीं पुण्य तिथी सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में मनायी गयी। जगजीतपुर स्थित गुर्जर भवन में महंत विनोद महाराज के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम में ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए भारत माता मंदिर के तहत महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका अतुलनीय योगदान रहा। युवा संतों को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि योग्य शिष्य ही गुरू की कीर्ति को आगे बढ़ाते हैं। संत समाज की दिव्य विभूति ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज के शिष्य महंत विनोद महाराज जिस प्रकार अपने गुरू के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाते हुए सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान कर रहे हैं। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। कार्यक्रम में शामिल हुुए संतों का आभार व्यक्त करते हुए महंत विनोद महाराज ने कहा कि वे भाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। पूज्य गुरूदेव के दिखाए मार्ग और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए संत समाज के आशीर्वाद से समाज को अध्यात्म और ज्ञान की प्रेरणा देकर सद्मार्ग पर अग्रसर करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद व महंत श्यामप्रकाश ने कहा कि गुरू की सेवा परंपरां को आगे बढ़ाने के लिए महंत विनोद महाराज बधाई के पात्र हैं। इस अवसर पर महंत रघुवीर दास, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, स्वामी कमलेशानंद, महंत बिहारी शरण, महंत प्रेमदास, स्वामी चिदविलासानंद, महंत गोविंददास, महंत जयेंद्र मुनि, स्वामी कपिल मुनि महाराज, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत जसविन्दर सिंह, महंत सूर्यमोहन गिरी सहित बड़ी संख्या में संत और श्रद्धालु मौजूद रहे।